पंडित सुंदरलाल शर्मा भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, सामाजिक क्रांति के अग्रदूत व प्रतिष्ठित साहित्यकार थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश की आजादी और साहित्य सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। गद्य और पद्य दोनों में उनकी समान गति थी लेकिन एक कवि के रूप में उन्होंने अधिक ख्याति प्राप्त की। बता दें कि शर्मा जी ने खड़ी बोली, ब्रजभाषा और छत्तीसगढ़ी तीनों भाषाओं में साहित्य का सृजन किया है। वे ‘पिंगल शास्त्र’ के भी ज्ञाता थे। वहीं ‘छत्तीसगढ़ी दानलीला’ उनकी सर्वोत्तम कृति मानी जाती है। यह छत्तीसगढ़ी भाषा का प्रथम प्रबंध-काव्य है, इसकी कथा ‘श्रीमद्भागवत’ के दशम स्कंध पर आधारित है।
पंडित सुंदरलाल शर्मा ने साहित्य सृजन के साथ ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन’ (Indian Independence Movement) में भी भाग लिया था। वर्ष 1920 में ‘असहयोग आंदोलन’ में भाग लेने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। क्या आप जानते हैं कि उन्होंने ही सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम बार मांग उठाई थी। देश की आजादी में अपनी अहम भूमिका निभाने के कारण उन्हें ‘छत्तीसगढ़ का गाँधी’ की उपाधि दी गई।
आइए अब पंडित सुंदरलाल शर्मा का जीवन परिचय (Pandit Sundarlal Sharma Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नाम | पंडित सुंदरलाल शर्मा (Pandit Sundarlal Sharma) |
जन्म | 21 दिसंबर 1881 |
जन्म स्थान | जनकपुर गांव, छत्तीसगढ़ |
पिता का नाम | पंडित जियालाल प्रसाद त्रिपाठी |
पेशा | स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार |
आंदोलन | भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन |
साहित्यिक विधाएँ | कविता, नाटक, उपन्यास, जीवनी |
उपाधि | छत्तीसगढ़ के गांधी |
मृत्यु | 28 दिसंबर, 1940 |
महान स्वतंत्रता सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म 21 दिसंबर, 1881 को छत्तीसगढ के जनकपुर गांव में हुआ था। उनके पिता ‘पंडित जियालाल प्रसाद त्रिपाठी’ समृद्ध मालगुजार थे। शर्मा जी की प्रारंभिक शिक्षा राजिम में हुई थी। प्राथमिक शिक्षा के पश्चात उन्होंने घर पर ही संस्कृत, बंगला, मराठी, अंग्रेजी, ओड़िया आदि भाषाओं का अध्य्यन किया। बताया जाता है कि उनके घर में कई भाषाओं में पत्र-पत्रिकाएं आती थीं जिन्हें पढ़कर उनमें साहित्यक रूचि जागृत हुई। वहीं, शुरुआत में उनकी रूचि नाट्यकला, मूर्तिकला और चित्रकला में अधिक थी, लेकिन उनकी प्रतिभा का विकास मुख्य रूप से साहित्य के क्षेत्र में हुआ।
पंडित सुंदरलाल शर्मा का अल्प आयु में ही साहित्य के क्षेत्र में पर्दापण हो गया था। वर्ष 1898 में उनकी कुछ कविताएं ‘रसिक मित्र’ कानपुर से प्रकाशित हुई थी, जिन्हें उनकी प्रथम प्रकाशित रचना माना जाता है। शर्मा जी अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे उन्होंने मुख्यतः ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी व खड़ी बोली में अनुपम कृतियों का सृजन किया था। माना जाता है कि उन्होंने लगभग 15 वर्षों तक ही साहित्य का सृजन किया था जिसमें उनके कुल 22 ग्रंथ माने जाते हैं। विद्वानों द्वारा उनका संपूर्ण लेखन काल 1898 से 1912 तक माना जाता है।
यहाँ पंडित सुंदरलाल शर्मा (Pandit Sundarlal Sharma Ka Jivan Parichay) की संपूर्ण साहित्यिक रचनाओं के बारे में बताया गया है-
क्या आप जानते हैं कि पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ के पहले व्यक्ति थे जिन्होंने कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया था। इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नींव रखी थी। वहीं ‘महात्मा गाँधी’ द्वारा चलाए गए ‘अहसयोग आंदोलन’ और ‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ में भाग लेने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। जेल में वह ‘श्री कृष्ण जन्म स्थान पत्रिका’ हस्तलिखित निकालते थे। जिसके मूल पृष्ठ का चित्र भी वह स्वयं बनाते थे।
पंडित सुंदरलाल शर्मा के नेतृत्व में शुरू किया गया ‘कंडेल नहर सत्याग्रह’ (Kandel Nahar Satyagrah) छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा सत्याग्रह माना जाता है। वहीं उनके प्रयासों द्वारा ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पहली बार रायपुर आए थे।
पंडित सुंदरलाल शर्मा ने अपना संपूर्ण जीवन देश की स्वतंत्रता, जन कल्याण और साहित्य सेवा के लिए समर्पित कर दिया था। उन्होंने हरिजनों के उत्थान के लिए एक आश्रम का निर्माण व महिला शिक्षा के लिए स्कूल की स्थापना की थी। इसके साथ ही उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपना एक विशिष्ठ स्थान बनाया था। किंतु इस महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रतिष्ठित कवि ने 28 दिसंबर 1940 को सदा के लिए अपनी आँखें मूंद ली। बता दें कि छत्तीसगढ़ में उनके नाम पर ‘पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय’ की स्थापना की गई है। वहीं भारतीय डाक विभाग ने उनके सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया है।
यहाँ महान स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार पंडित सुंदरलाल शर्मा का जीवन परिचय (Pandit Sundarlal Sharma Ka Jivan Parichay) के साथ ही भारत के महान राजनीतिज्ञ और साहित्यकारों का जीवन परिचय की जानकारी भी दी जा रही हैं। जिसे आप नीचे दी गई टेबल में देख सकते हैं-
उनका जन्म 21 दिसंबर, 1881 को छत्तीसगढ के जनकपुर गांव में हुआ था।
पंडित सुंदरलाल शर्मा को ‘छत्तीसगढ़ के गांधी’ की उपाधि दी गई है।
उन्होंने कुल 22 ग्रंथों की रचना की थी।
पंडित सुंदरलाल शर्मा ने सन 1913 में छत्तीसगढ़ी का प्रथम प्रबंध काव्य ‘छत्तीसगढ़ी दानलीला’ का प्रकाशन कराया था।
उनके पिता का नाम ‘पंडित जियालाल प्रसाद त्रिपाठी’ था।
28 दिसंबर 1940 को उनका निधन हुआ था।
आशा है कि आपको महान स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार पंडित सुंदरलाल शर्मा का जीवन परिचय (Pandit Sundarlal Sharma Ka Jivan Parichay) पर हमारा यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य प्रसिद्ध कवियों और महान व्यक्तियों के जीवन परिचयको पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
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